आज भी है (Part-II)
बीच राह में साथ छोड़ के जाने वाले सुन..
मुझे तुझसे प्यार आज भी है...
तु नही है इस ज़हान में, मालूम है मुझे..
पर इस दिल को इंतेज़ार आज भी है...
तु फलक से भी मेरी सलामती की दुआ करती होगी,
इन धड़कनो को ये ऐतबार आज भी है...
और कोश्ता हु खुद को, की तुझे सम्भाल कर रख ना सका...
देखता हु ख़्वाबों में सिर्फ़ तुझको, इस बात से, इन आँखो को मुझसे शिकायत आज भी है...
कि जिस प्यार की ख़ातिर तुमने तड़प कर जो छोड़ दी दुनिया
रहे वफ़ा में वो दिल, घायल आज भी है...
ढूँढता हु हर शाए में सिर्फ़ तुझको..
इन धड़कनो को हर चेहरे में उसकी तलाश आज भी है।..
उस बेख़बर को ज़रा कोई खबर दे, ये मोहब्बत कही हमको पागल ना कर दे..
उस पगली के लिए दिल बेक़रार आज भी है...
अब तो इस राह से वो शख़्स गुजरता ही नही..
फिर भी दरवाज़े पे उसके इंतेज़ार के उम्मीदवार हम आज भी है..
की हाए वो तुम्हारी आख़री मोहब्बत की सदा, की मत जाओ मुझे छोड़कर खुदा के लिए...
इन कानो में गूंज रही वो सदाए बहार आज भी है..
तुझे भूलकर रूठे हुए यारों से ताल्लुक़ मैंने रखा
उजड़े हुए बागों का ये दिल निगहबान आज भी है...
अच्छा हुआ तू मुझे तन्हाई देकर चली गयी, गर कूछ ना देती तो गिला होता तुझसे..
तेरे हर ज़ख्मों का ये दिल गुनहगार आज भी है..
की एक अजब हाल है, की तुझको याद करने में बेवफ़ा खुद को महसूस करता हुँ....
खुदा का अज़ाब नाज़िल हुआ है मुझपे, ज़िंदा मुझमें बेवफ़ाई का अज़ाब आज भी है..
की तु कही भी जाती थी . लौट कर मेरे पास आती थी..
बस इसी आस में तेरे लौट आने का इंतेज़ार आज भी है...
खरोंच डाला उन लकीरों को बहस अक्सर होती थी उनसे मेरी..
मेरी क़िस्मत को उन लकीरों से तकरार आज भी है..
मैंने पढ़ा ही नही तेरी आँखो को.. कुछ तो कह रहा था इनका सन्नाटा
उन सन्नाटों की चीखने की चुभन, इन धड़कनो को आज भी है...
हमको तेरे साथ एक उम्र ना जीने का सलीक़ा आया..
और तेरे साथ ज़िंदगी बिताने की लगन आज भी है..
Itne dino se jo aapne kuch bhi post nahi kiya tha uski takrak hume aaj bhi hai apse
ReplyDeletePar behad achhha laga aaj bohot dino baad padh k 😊😊😊
DeleteBohot dino bad aj shayri padhi apki noor beautiful shayari 🙌🙌
ReplyDeleteBohot dino bad aj shayri padhi apki noor beautiful shayari 🙌🙌
ReplyDeleteAapki shayari ka intezaar aaj bhi tha. Ar hmesha rahega....
ReplyDeletethank you so much
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