महसूस करता हुँ.. Part (1)
ये जो तेरी भीनी भीनी ख़ुशबू, आज भी मैं फ़िज़ाओं में महसूस करता हु.वो सुकून का पल अपनी वफ़ाओं में महसूस करता हूँ..
वो चली गई छोड़ कर,क्या सिकवा क्या गिला करें...उसके जाने की चुभन, आज भी इन घटाओं में महसूस करता हुँ..जाने में उसके रज़ामंदी थी या मजबूरी, ये रब बेहतर जाने..पर उसके रूठ जाने की घुटन पल पल आज भी दिल में महसूस करता हुँ..आख़िर हार कर, वक़्त से समझौता कर ही लिया इस दिल ने..की रह लूगा तेरे बग़ैर..पर ये दिल आज भी,मुर्दों सा कफ़न ओढ़े हुए महसूस करता है..खुदा की रहमत हुई, उनका दीदार हुआ..दोनो की निगाहों का आँखें चार हुआजी चाहा अनदेखा कर के चल दु उन्हें..पर ये दिल आज भी उनके फ़सानो को महसूस करता हु..वो आइ भीगी पलकें लेके और इशारों में माफ़ी माँगी..सर्मिंदगी से सर उठा कर यूँ प्यार से मेरी तरफ़ झाँकी..ग़ुरूर में आके सोचा की उसे बेवफ़ा का ताज दूँ..पर ये रूह, उसे आज भी अपनी जहाँ का सरताज महसूस करता है...
Waaah waaah kya baat hai ❣️❣️❣️
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