की हो गयी है जिनसे
मोहब्बत उसे अब देखना क्या है,
बुरा क्या है, भला क्या है, सज़ा क्या, जज़ा क्या है…..
बुरा क्या है, भला क्या है, सज़ा क्या, जज़ा क्या है…..
तुम ज़रा सामने आओ नज़र हमसे तो टकराओ..
फिर होश किसे है की तुमने कहा क्या है, सुना क्या है…
मोहब्बत जुर्म ऐसा है की मुजरिम है खड़ा बे-बस..
किया क्या है, गुनाह क्या है, सजा क्या है, ख़ता क्या है..
न आना इश्क़ की बाज़ार में, अंधी तेज़ारत है ये..
दिया क्या है, लिया क्या है, बचा क्या है, बिका क्या है…
ज़माना झूम उट्ठा है, सदाएँ दाद देती है..
ना जाने आज NOOR ने ग़ज़ल में कह दिया क्या है…
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